लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # कितना बदल गये है वो .….
सुगना का आज रो रो के बुरा हाल हो रहा था ।सुबह से ही पति को आफिस भेज कर वो ऐसे ही बिस्तर पर पड़ी सुबकती रही थी ।रोते रोते मन पुरानी यादों मे कही खो गया ।सुगना को याद आ रहा था जब वह शादी करके इस घर मे आयी थी तो उसे घर का माहौल बड़ा ही अजीब लग रहा था। कोई किसी से ढंग से बात नही कर रहा था। घर मे चार सदस्य ही तो थे ।पति ,देवर ,ननद और सास।अगर उच्चवर्णीय परिवार होता तो सुगना मान भी लेती कि सब अपने अपने मे बिजी रहते होगे।एक मिडिल क्लास नर्सरी टीचर का परिवार पर घमंड देखो।माना सुगना का परिवार भी मिडिल क्लास ही था लेकिन घर के सदस्यों मे आपस मे प्यार मोहब्बत थी। बच्चे बुआ के बगैर एक पल नही रहते थे।तो मां बेटे की आपस की सलाह मशविरा होती रहती थी ।सुगना को मिला कर उसके मायके मे भी छह सदस्य ही थे और इधर ससुराल मे पांच लेकिन माहौल का दिन रात का अंतर था। पहले तो सुगना ने सोचा हो सकता है हर घर मे माहौल एक जैसा नही होता यहां भी यही काम हो।पर धीरे धीरे सुगना के सामने ससुराल वालों की असलियत आने लगी।सास और देवर ,ननद अव्वल दर्जे के स्वार्थी और अहसान फरामोश थे।
उसे याद है वो दिन जब वह परास्नातक लड़की धीरे धीरे उस घर की नौकरानी बन गयी।पति की भी असलियत उसके सामने आ गयी थी।बात बे बात उस पर हाथ छोड़ना उसके पति का हररोज का काम हो गया था।ये सुगना के संस्कार ही थे जो वो सारे घर का काम करती और फिर पति की मार खाती थी।वह बस अपने परिवार के कारण चुप रहती थी ।कही कोई ये ना कह दे कि गये बीते घरों की है।
एक दिन गर्मी के दिन थे सुगना सारे घर का काम करके रात को अपने कमरें मे अपना खाना लेकर चली गयी सास दूसरे कमरे मे बैठी थी वही उसके पति, देवर और ननद बैठे थे सास खाने के बाद आम काट काट कर अपने बच्चों को खिला रही थी सास ने पांच आम काटे सबने आम के ऊपर नीचे के भाग खा कर गुठली एक प्लेट मे रखते गये जब वे पांच गुठली इकठ्ठी हो गयी तब सास ने सुगना के पति से कहा ,"जा ये उसे (सुगना) दे आ ।पति ने पलेट उठाई और कमरे मे जहां सुगना बैठी थी वहां लाकर उसे दे दी कि लो ये आम मम्मी ने दिया है तुम्हारे लिए। सुगना की आंखों मे पानी आ गया कि सारा दिन घर का काम करके भी एक आम की वो हिस्सेदार नही है ।फिर ससुराल वालों ने उसे बहु समझा ही कहां वो तो नौकरानी हो गयी । पतिदेव उसकी ये बात समझ गये।वे तुरंत अंदर से एक और आम लेकर आये और अपने कमरे मे आ गये । मां ने पूछा ,"कौन के लिए ले जा रहा है ।"तो सुगना के पति बोले,"मम्मी मेरे लिए।"
और आम लाकर सुगना को देकर बोले,"तुम क्यों नही खा सकती पूरा आम ।"
सुगना की आंखों से आंसू अविरल बह रहे थे ।आज पतिदेव उसे बहुत अच्छे लग रहे थे।उसे लगा पतिदेव उसका दर्द समझते है।
पर कल रात तो हद ही हो गयी ।अब सुगना पति के साथ व्यापार मे भी हाथ बंटाती है ।घर का यथा संभव काम भी करती है लेकिन कल रात वही न्यायप्रिय पति अन्यायी हो बैठे कल पतिदेव ने बच्चों के लिए आम काटे ।पर सुगना को एक हिस्सा भी नही दिया।जब सुगना अपने आप लेने लगी तो उसके हाथ को मरोड़ कर एक तरफ कर दिया कि तुम आम नही खाओगी। सारा दिन दुकान पर काम करके भी सुगना को रात को रोटी नसीब नही हुई।
वह सारी रात यही सोचती रही कि क्या हो गया है इनको जिस भेदभाव के लिए ये अपनी मां का विरोध कर बैठे थे वो आज खुद ही भेदभाव कर रहे है । हाय राम! कितना बदल गये है वो।
shweta soni
12-Jul-2022 08:20 PM
Nice 👍
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Gunjan Kamal
12-Jul-2022 12:11 AM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Milind salve
11-Jul-2022 06:49 PM
👏👌🙏🏻
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